सभी मनुष्य एक ही प्रकार से देखते-सुनते हैं पर एकसमान विचार नहीं रखते। सभी अपनी-अपनी मनोवृत्तियों के अनुसार कार्य करते हैं। पाठ में आई कबीर की किस साखी से उपर्युक्त पंक्तियों के भाव मिलते हैं, एकसमान होने के लिए आवश्यक क्या है? लिखिए।
कबीर की निम्नलिखित साखी यह उपदेश देती है कि समाज में सभी को एक समान मानना चाहिए।
कबिरा घास न नींदिए, जो पाऊ तलि होइ।
उडि़ पड़ै जब आंखि मैं, खरी दुहेली होइ।।
एक समान होने के लिए जरूरी है कि समाज में किसी भी तरह का भेदभाव खत्म होना चाहिए। फिर चाहे वो जाति के आधार पर हो या आर्थिक। कभी किसी को कमजोर समझकर अपने बल से डराना नहीं चाहिए। समाज में सभी को एक ही नजर से देखना चाहिए और सभी के साथ पक्षपातपूर्ण व्यवहार होना चाहिए।